शीतल बयार हूँ ,नाजुक गुलाब हूँ
प्रसन्न बहार हूँ , मजबूत पहाड़ हूँ ।
चंचल नदी हूँ ,शांत गगन हूँ
सहनशील धरा हूँ ,गहरा सागर हूँ ।
कभी लक्ष्मी तो कभी दुर्गाहूँ
कभी राधा तो कभी सीता हूँ ।
कभी शबरी तो कभी मीरा हूँ
कभी काली तो कभी चंडी हूँ ।
है रूप अनेकों पर भावना अपार है
दिल में ममता और करुणा का भंडार है।
अपनों के लिए समर्पित मेरा सारा संसार है
जुदा है वजूद मेरा , हिम्मत ना मैंं कभी हारी हूँूू
प्रसन्न बहार हूँ , मजबूत पहाड़ हूँ ।
चंचल नदी हूँ ,शांत गगन हूँ
सहनशील धरा हूँ ,गहरा सागर हूँ ।
कभी लक्ष्मी तो कभी दुर्गाहूँ
कभी राधा तो कभी सीता हूँ ।
कभी शबरी तो कभी मीरा हूँ
कभी काली तो कभी चंडी हूँ ।
है रूप अनेकों पर भावना अपार है
दिल में ममता और करुणा का भंडार है।
अपनों के लिए समर्पित मेरा सारा संसार है
जुदा है वजूद मेरा , हिम्मत ना मैंं कभी हारी हूँूू
नाज़ुक हूं कमजोर नहीं, हां नारी हूं मैं नारी हूं।
Best wishes
ReplyDeleteDhanyawad 🙏
Deleteसादर प्रणाम
ReplyDeleteसुन्दर अभव्यक्ति
ReplyDeleteDhanyawad 🙏
DeleteWonderful and suppur
ReplyDeleteThanks 👍
DeleteLovely❣️❣️
ReplyDeleteThanks 😊
DeleteVery nice ma'am
ReplyDeleteThanks
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